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लेखनी प्रतियोगिता -24-Dec-2022


हे साथी जीवन पथ के
उस छोर तलक चलना 

जीवन के ये पथ प्रिये
बहुत बोझिल है 
एकाकी इस पर जाना
कितना मुश्किल है।
जिसने ये पथ दिखलाया
वो आधे पथ पर छोड़ गए
मुझे सौंपकर तुम्हें वो
अपने पथ की ओर गए।
तुम हाथ पकड़कर मेरा
हरदम संग संग रहना
ओ जीवन पथ के साथी
उस छोर तलक चलना।

कर्म के रथ के लिए
जीवन का पथ संकर भी है
जितना पथ ये खूबसूरत
उतना ही दुष्कर भी है
बहुत आएंगे मिलेंगे राहों में
हमको अपने छाप देते जाएंगे
किंतु हम अपने परिश्रम के रंगों से
अपने पथ को अपने रंग रंग जाएंगे
ढूंढ न पाऊं कभी तुमको अगर मैं
मेरी आँखों पर सुनहरी धूप मलना
ओ मेरे जीवन के साथी
जन्म के उस छोर तक तुम साथ चलना।।




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2 Comments

Mahendra Bhatt

25-Dec-2022 09:42 AM

Nice 👍🏼

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Punam verma

25-Dec-2022 08:28 AM

Very nice

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